अजीब कशमकश यहाँ नजर आती है, अपनी ही साँसों से उल्फत बिखर जाती है। कभी अपनों को खोनें का डर सताता है, कोई अपना ही कभी कातिल नजर आता है।
अजीब कशमकश यहाँ नजर आती है, अपनी ही साँसों से उल्फत बिखर जाती है। कभी अपनों को खोनें का डर सताता है, कोई अपना ही कभी कातिल नजर आता है।