हर बार मुश्किलें तमाम आती हैं, अच्छे बुरे तजुर्बे साथ लाती हैं, इसी मशरूफियत में गुजर जाता है साल पूरा, हम फिर नये जज्बे से नये साल का आगाज करते हैं।
महीना: दिसम्बर 2015
इनाम
इस जमाने को मुस्कुराहटों का पैग़ाम दे दो, मायूसियों को महफिलों का फरमान दे दो, बहुत देख लिया किस्मतों को कोसकर, अब जरा अपनी मेहनतों को भी तो इनाम दे दो।
शुक्रिया
कभी जिंदगी के लिए शुक्रिया भी कर दिया कर ऐ दोस्त तेरा तो शिकवों में ही वक्त गुजर जाता है…
मुमकिन
कोई मौका नसीब ना हो जिन्दगी में, ये मुमकिन नहीं तेरी कोशिश में ही खोट नजर आता है…
Sanam
हमनें तो सनम तेरी गलतियों को अपने आँचल से ढक लिया, और तूने हमें गैरों में बेपर्दा कर दिया…
Meharbaan
हौसलों की कहानी आसान नहीं होती, बिना सफर किये रास्तों से पहचान नहीं होती, अपने पराये सब हैं यहाँ, मगर बिना दिलों को जीते दुनियाँ मेहरबान नहीं होती।
तजुर्बे
हर बार कोशिश परवान नहीं चढ़ती, कदमों की हरकत मगर गुमनाम नहीं होती। मुमकिन है के मंजिल नसीब ना हो हर बार, सफर के तजुर्बों की कीमत भी तो आम नहीं होती।
आइना
आइनें से जरा गर्द तो हटा… आइना खुद तेरी तस्वीर दिखा देगा।
इम्तिहान
जिंदगी में कई तूफान आयेंगे, हौंसलों के नये इम्तिहान आयेंगे, जो जीत लिया तुमनें इन इम्तिहानों को, तो कई नये मकाम तुम्हारे नाम आयेंगे।